शायर कैफ़ी आज़मी की जन्मशती पर याद-ए- कैफ़ी समारोह आयोजित
सागर। मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल और सागर इकाई द्वारा शासकीय कन्या महाविद्यालय सागर में प्रगतिशील शायर और मशहूर नग्मानिगार कैफ़ी आज़मी के जन्मशती वर्ष पर प्रदेश के पहले याद- ए-कैफ़ी समारोह का आयोजन दो सत्रों में किया गया।
इस मौके पर प्रो.सुरेश आचार्य ने सागर की विभूतियों महाकवि पद्माकर,डॉ. हरीसिंह गौर,विट्ठलभाई पटैल, शिवकुमार श्रीवास्तव, अख्ल़ाक सागरी का स्मरण करते हुए सभी का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर इकबाल मसूद ने अपने उद्बोधन में कैफ़ी आज़मी की शायरी, फिल्मी गानों,पत्रकारिता और कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी बातें करते हुए उनके संस्मरणों को साझा किया। उन्होंने कहा कि कैफी आज़मी की शायरी को आज के समय में याद रखना बहुत ही इंपॉर्टेंट है।आज के समय में भले लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।आज आवाम फिर एक बार मुश्किल में है। ऐसे में फिर एक ऐसे इंसान की जरूरत है जो यह कह सके कि अंधेरा है, बहुत परेशानियां हैं, आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है, आज की रात तो फुटपाथ पर भी नींद ना आएगी। तुम भी हो मैं भी हूं। तुम भी हो तो कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जाएगी।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रख्यात आलोचक एवं संपादक डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा ने कैफ़ी आज़मी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि मशहूर तरक्की पसंद शायर कैफ़ी आज़मी का स्मरण हमारी भारतीय संस्कृति की सुदीर्घ परंपरा का स्मरण है। आज ऐसे समय में जबकि भाषा को धर्म से जोड़ने की संभावना भी हमें कहीं नजर नहीं आती है, कैफ़ी जैसे शायर को याद करने से एक बहुत बड़ी सांस्कृतिक सेवा हिंदी साहित्य सम्मेलन के मंच द्वारा संपन्न हुई है। एक साहसिक परिवर्तन की आकांक्षा और एक बेहतर मानवीय दुनिया का निर्माण यह कैफ़ी आज़मी का एक सपना था। उनकी शायरी यह ख्वाब देखने के लिए हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी।सामाजिक कार्यकर्ता की भी उनकी हैसियत थी। सबसे जरूरी बात कि यह समय हमारी संस्कृति के ताने-बाने को सुरक्षित बनाए रखने का है और कैफ़ी इस दिशा में अपने जीवन के माध्यम से भी और अपनी शायरी के माध्यम से भी प्रेरित करते रहे।
कार्यक्रम में शिवपुरी के रचनाकार विनय प्रकाश जैन नीरव के नवगीत संग्रह 'यात्रा कितनी कठिन है'का विमोचन भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।प्रथम सत्र का संचालन महामंत्री मणिमोहन ने किया।
समारोह के द्वितीय सत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर की इकाई के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने स्वागत भाषण देते हुए सभी रचनाकारों का स्वागत किया।आमंत्रित कवियों व शायरों डॉ. सुश्री वर्षा सिंह,डॉ. नवीन कानगो सागर,अनुपमा रावत,शिवकुमार अर्चन भोपाल, केशव तिवारी केशु व मानव बजाज दमोह, दौलत राम प्रजापति शिवपुरी और अशोक मिजाज बद्र सागर नेअपनी शानदार रचनाओं से उपस्थित सुधि श्रोताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के पूजन अर्चन से हुई।अतिथि स्वागत उमा कान्त मिश्र,आशीष ज्योतिषी,प्रदीप पाण्डेय,आर.के.तिवारी, डॉ. चंचला दवे,पुष्पेंद्र पुनीत दुबे,अमित आठिया ने किया।
कवि सम्मेलन का संचालन अभिषेक वर्मा भोपाल ने किया आभार पुष्पेंद्र पुनीत दुबे सचिव जिला इकाई सागर ने माना।इस अवसर पर मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष पलाश सुरजन,शुकदेव प्रसाद तिवारी,प्रो.उदय जैन,के.के. सिलाकारी,डॉ.चंचला दवे,डॉ.कविता शुक्ला, सुनीला सराफ, डॉ.शरद सिंह,डॉ.सुजाता मिश्र,देवकी दीपा भट्ट नायक, हरगोबिंद विश्व, डॉ.गजाधर सागर,शिवरतन यादव,मुन्ना शुक्ला, राजेश शास्त्री,डॉ.आशुतोष,हरीसिंह ठाकुर,डॉ. मनीष झा,टी.आर.त्रिपाठी,पी.आर.मलैया, जावेद खान,राहुल सिलाकारी,असगर पयाम, एम.शरीफ,ऋषभ समैया जलज,डॉ.अमर जैन, कुंदन पाराशर,संतोष पाठक,रमाकांत मिश्र, अंबर चतुर्वेदी,रमेश दुबे,डॉ.एम. के.खरे, विश्वनाथ चौबे,माधव चंद्रा, डॉ.अनिल जैन, वृंदावन राय सरल,के.एल.तिवारी,डॉ. योगेश दत्त तिवारी,पुष्पदंत हितकर,मृगेंद्र सिंह सेंगर, अमित मिश्र,डॉ.आर.आर.पांडे,कपिल चौबे, संतोष कटारे,मुकेश निराला,राहुल पाठक, एम.डी.त्रिपाठी,डॉ.शशि कुमार सिंह, मुकेश टांक,अभिनव दत्त दुबे,संजय भाटे, रवींद्र दुबे कक्का,राघव रामकरण के अलावा दमोह, शिवपुरी, टीकमगढ़, अशोक नगर, भोपाल विदिशा की जिला इकाइयों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।
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