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श्री श्री जगतगुरू, द्वाराचार्य, मलूकपीठाधीश्वर डाॅ. राजेन्द्रदास जी महाराज का 13 नबंवर को होगा सागर आगमन , श्रीमद् भागवत कथा एवं संत समागम की तैयारियां हुई पूर्ण

श्री श्री जगतगुरू, द्वाराचार्य, मलूकपीठाधीश्वर  डाॅ. राजेन्द्रदास जी महाराज का 13 नबंवर को होगा सागर आगमन , श्रीमद् भागवत कथा एवं संत समागम की तैयारियां हुई पूर्ण 
सागर। सागर में होने जा रहे राष्ट्रीय स्तर के श्रीमद् भागवत सद्गुरू कृपारस एवं संत समागम रूपी कुंभ 14 से 20 नवंबर 2019 तक सागर में बालाजी मंदिर परिसर में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें देश के ख्यातिवान संतो का सागर आगमन हो रहा है और श्री श्री जगतगुरू द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर परम श्रद्धेय भागवत सम्राट डाॅ. राजेन्द्रदास जी महाराज के मुखारविंद से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्रीमद् भागवत कथा एवं संत समागम कुंभ की तैयारियां लगभग पूर्ण कर ली गई है। इस धार्मिक आयोजन को लेकर श्रृद्धालुओं में अपार उत्साह देखने को मिल रहा है। भागवत कथा एवं संत समागम कुंभ में शामिल होने के लिये कई कथा वाचक राष्ट्रीय संत जो देश विदेशों में धर्म की पताका फहराकर धर्म जागरण का कार्य करने में लगे हुये है। ऐसे राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संतो का सागर आगमन भागवत कथा में शामिल होने के लिये हो रहा है। कार्यक्रम के मार्गदर्शक श्री रसराज महाराज ने बताया कि 13 नबंवर को श्री श्री जगतगुरू द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर परम श्रद्धेय भागवत सम्राट डाॅ. राजेन्द्रदास जी महाराज जी का सागर आगमन होगा। उन्होंने बताया कि 13 नबंवर को ही राष्ट्रीय संत किशोरदास देवजू महाराज वृन्दावन का आगमन होगा जो भागवत कथा की अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने बताया कि 17 नबंवर को राष्ट्रीय संत कृष्णचंद ठाकुर जी का सागर आकर भागवत कथा में शामिल होंगे। कार्यक्रम के मार्गदर्शक रसराज जी महाराज ने बताया कि बालाजी मंदिर परिसर भागवत कथा स्थल पर गोवर्धन की वृज परिक्रमा की भावना की जैसी कलाकृति तैयार की जा रही है। इस ब्रज परिक्रमा में निधिवन का राधा दामोदर मंदिर, गिरिराज मंदिर, राधा कुंज इत्यादि ब्रज की कलाकृतियों का श्रृद्धालु दर्शन कर सकेंगे। इसकी रचना का कार्य संजय सोनी एवं उनकी टीम द्वारा बड़े ही अद्भुत तरीके से तैयार किया जा रहा है। उन्होंने सागर में होने जा रहे राष्ट्रीय धार्मिक आयोजन श्रीमद् भागवत कथा एवं संत समागम कार्यक्रम में श्रृद्धालुओं से बड़ी संख्या में पहुंचकर अमृतपान कर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की और कहा कि संतो के सान्निध्य में रहने से एवं भागवत कथा सुनने से मानव जीवन को एक नयी सार्थक दिशा मिलती है एवं लोगों में भारतीय संस्कृति संस्कारों के साथ ही अच्छे आचरण को आत्मसात करने की प्रेरणा मिलती है। ।
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