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बारिश में गिरा मकान,पिता अपने मासूम बेटे के साथ रहने लगा श्मशान घाट में। सागर से महज 10 किमी दूर ,एक आदिवासी की व्यथा

बारिश में गिरा मकान,पिता अपने मासूम बेटे के साथ रहने लगा श्मशान घाट में।
सागर से महज 10 किमी दूर ,एक आदिवासी की व्यथा
सागर। एक आदिवासी मजदूर की व्यथा शर्मसार करने वाली देखने मिली है । जिसका बारिश में कच्चा मकान  भरभरा गया । सरकारी मदद की आस में भटकने के बाद कोई ठिकाना नही मिला तो पिता ने मासूम बेटे के साथ श्मशानघाट में ठिकाना बना लिया।
       सागर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर कुडारी ग्राम में राम रतन आदिवासी की कहानी मानवता को शर्मसार करने वाली है। रामरतन आदिवासी का बारिश में  कच्चा मकान गिर गया था । जिससे बाद से वह अपने 9 साल के मासूम बच्चे हनुमत सहित श्मशान में रहने को मजबूर है ।यह पिता पुत्र दोनों रात में श्मशान में सोते हैं तथा दिन में भी जब कोई काम नहीं होता तो यह आराम करने श्मशान चले जाते हैं।
 नही मिला सरकारी योजनाओं का लाभ
         रामरतन के  कष्ट की कहानियों का अंत यही नहीं हो जाता है । इन को सरकार की योजनाओं का न लाभ मिला और ना ही ग्राम पंचायत से किसी प्रकार का सहयोग ।यह जैसे तैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं इस परिवार की हालत इतने बद से बदतर है कि कभी-कभी इस परिवार के दोनों सदस्यों को भूखे पेट ही सोना पड़ता है तथा कई बार पड़ोसी इनकी मदद करके खाना मुहैया कराते हैं।
मजदूर रामरतन बताता है कि  राम रतन की पत्नी का करीब 7 वर्ष पहले प्रसूति के दौरान स्वर्गवास हो गया था। उसकी मौत के बाद भी इसे किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हुई। रामरतन ने मकान गिरने के बाद ग्राम के सरपंच को इस संबंध में सूचित किया परंतु ना ही उसे कुटीर स्वीकृत हुई और ना ही मुआवजा रामरतन का मासूम बच्चा स्कूल भी पढ़ने नहीं जाता है।
इसी  गांव के पावन यादव कहते है कि मकान गिरने के बाद रामरतन सरपंच के पास गया तो कोई मदद नही मिली। रामरतन के ऊपर जिम्मेदारी है बच्चे को पालने की । काम छोड़कर उसके खाने पीने की व्यवस्था करनी पड़ती है । इसके कारण किसी के यहां मजदूरी भी नही कर पाता है । भूसा के बोरे भरने उतारने का काम करता है ।
मासूम बेटे की पीड़ा,मरघटा में डर लगता है
        रामरतन आदिवासी का 9 साल का बेेटा 
हनुमत बताता है कि बरसात में मकान गिर गया था। मरघटा में रहते है । कई बार डर भी लगता है । कभी खाना मिलता है कभी नही।
सक्रिय हुआ प्रशासन
रामरतन आदिवासी की व्यथा जब मीडिया ने उठाई तो स्थानीय प्रशासन जागा। उसके लिए सरकारी मदद की बात होने लगी ।जिला पंचायत सागर के  एडिशनल सीईओ  राजेश पटेरिया के अनुसार मीडिया से पता चला है । इसके लिए सागर जनपद के ceo को निःर्देश दिए है । पीड़ितकी खाने पीने और रहने आदि की व्यवस्था जल्दी की जाएगी। इसके लिए दोषियों पर भी  कार्यवाई की जाएगी।
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