10वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव
दिल में उतर गई सूफी संगीत से सजी शाम
सागर। भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव सागरवासियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ गया। महोत्सव की शुरूआत माटी के लाल के तहत जबलपुर की कत्थक नृत्यांगना नीलांगी कलंतरे की राधेरानी कृष्ण रूप धरि मंद-मंद मुस्काए...... गीत पर लाजवाब प्रस्तुति के साथ हुई। द्वितीय चरण में संस्कृति मंत्रालय के सभी 7 जोनों के कलाकारों ने दक्षिण से लेकर उत्तर और पूर्व से लेकर पश्चिम तक की लोक संस्कृति को मंच पर शानदार तरीके से साधा। गीत, संगीत, नृत्य साधना हर प्रस्तुति पर गजब का सामंजस्य देखते ही बना। एक-एक फ्रेम दर्शकों को हर एक प्रदेश की संस्कृति से जोड़ता चला गया। दर्शकों ने तालियों से कलाकारों का जमकर उत्साहवर्धन भी किया।
आकर्षक मंच पर श्रीमती सरोजा वैद्यनाथन की शिष्या ने भरतनाटयम की मनभावन प्रस्तुति दी। वासुदेव एंड समूह उड़ीसा का ''घुड़का आदिवासी नृत्य'' सागरवासियों को खूब पसंद आया। विक्कू विनायक राम द्वारा ताल वाद्य संगम के माध्यम से संगीत के इस सफर को यादगार बना दिया। उमंग और उत्सव से सराबोर इस महोत्सव के यादगार सफर का समापन सूफियाना गीतों के साथ हुआ। डाॅ सतिंदर सरताज के पंजाबी सूफी गीतों से सजी शाम श्रोताओं के दिलों में उतर गईं।
महोत्सव को देखने उमडे हजारों लोग
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा पीटीसी मैदान में आयोजित 10वें सांस्कृतिक महोत्सव में लोक संस्कृतियों के संगम को देखने हजारों की संख्या में पहुंचे सागर और आसपास के क्षेत्रों के लोगों ने माना कि संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें वाकई महोत्सव के रूप में बड़ी सौगात दी है। इस अवसर पर नगर महापौर अभय दरे,पूर्व सांसद लष्मीनारायन यादव,एसवीएन विवि के संस्थापक कुलपति डॉ अनिल तिवारी,पूर्व विधायक सुधा जैन ,संस्कृति विभाग के डायरेक्टर सर्वेष आर्या, दक्षिण मध्य क्षेत्र नागपुर के कार्यक्रम अधिकारी प्रेमस्वरूप तिवारी,डायरेक्टर दीपक खिरबड़कर, राजकुमार पटेल,सुदेश तिवारी,विंनोद आर्य,आलोकमोहन नायक,,अभिषेक यादव,संदीप तिवारी, गोविन्द सरवैय ,राजेश श्रीवास्तव,चेतन्य सोनी,शत्रुघन केशरवानी,रेशु जैन,कृष्णकांत नगाईच , मनीष तिवारी,राघवेंद्र पटेल, राहुल श्रीवास्तव,मनुज नामदेव,शशांक तिवारी,ब्रजेश दुबे,शैलेश केशरवानी,अर्पित पांडे, यशवंत करोसिया,आशीष रजक,सहित शहर के गणमान्य नागरिक,मीडियाकर्मियों व प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति उलेखनीय रही।
व्यंजन भी खूब भाए
गीत, संगीत के इस सफर के बीच लोगों ने महाराष्ट्र, पंजाब, यूपी, राजस्थान, हरियाणा के व्यंजनों का भी खूब लुत्फ लिया। बनारस की चाट, हरियाणा की जलेबी, राजस्थानी व्यंजनों से सजी चटपटी थाली, चूरमा लड्डू, मावा कुल्फी का स्वाद लोगों की जुबां पर कुछ ऐसे चढ़ा कि वह इसे भुलाए नहीं भूलेंगे।
पंजाबी ढोल-नगाड़े और शहनाई भी खूब भाई
महोत्सव के दौरान खुले मैदान में पंजाब, महाराष्ट्र और राजस्थान के क्षेत्रीय बैंड कलाकारों ने भी एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोहा। पंजाबी कलाकारों ने ढोल व शहनाई के माध्यम से देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति देने के साथ ही शानदार गिद्धा नृत्य प्रस्तुत कर लोगों की वाहवाही बटोरी। तम्बूरे पर राजस्थानी धुनों और महाराष्ट्र के बैंड दल ने भी दर्शकों को थिरकने मजबूर कर दिया।
हस्तषिल्प मेले का आनंद ले सकेंगे 19 तक
खुशियों की सौगात भरे इस महोत्सव में सागरवासी हस्तशिल्प मेले का आनंद 19 अक्टूबर तक उठा सकेंगे। हस्तशिल्प मेला शहरवासियों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। दीपावली के मौके पर लोगों को घर की सजावट के लिए यहां असम के खास बैम्बू क्राफ्ट पसंद आ रहे हैं। असम, गुजरात कच्छ की चटकदार रंगों वाली साड़ियां व जैकेट, अरूणाचल के जूट बैग भी लोगों को खूब पसंद आए। लाख बेंगल्स, टेराकोटा, राजस्थानी जूतियां, चप्पल भी जमकर खरीदीं गईं। मेले में बच्चों के लिए भी देखने, सीखने और खेलने को बहुत कुछ रहा। संगीत, स्वाद और खरीददारी सभी मायनों में सागर वासियों के लिए यह आयोजन अनूठा साबित हुआ।...
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