भोपाल ।मुख्यमंत्री कमल नाथ के निर्देश पर वर्षा प्रभावित जिलों के जान-माल की रक्षा और बचाव के काम युद्धस्तर पर तेज कर दिए गए हैं। जिला प्रशासन ने चौबीसों घंटे मुस्तैद रहते हुए आपदा से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री श्री नाथ ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व एवं संबंधित जिले के कलेक्टर से सतत् संपर्क रखकर बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली और उन्होंने आवश्यक निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री नाथ के निर्देश पर वर्षा से प्रभावित 36 जिलों में बचाव और राहत के काम तत्काल शुरु किए गए हैं। राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एनडीआरएफ) के साथ स्थानीय जिला प्रशासन को सक्रिय किया गया है। प्रभावित क्षेत्र में 255 जिला आपदा रिस्पांस सेंटर और 51 आपात ऑपरेशन सेंटर खोले गए जो 24 घंटे काम कर रहे हैं। एसडीआरएफ के 100 और 600 प्रशिक्षित होमगार्ड के जवान बचाव कार्य में लगाये गए हैं। एनडीआरएफ के 210 तथा 1500 हजार होमगार्ड और पुलिस के जवान राहत और बचाव कार्यों में तैनात किए गए हैं।
45 हजार को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया गया है
राज्यस्तर पर स्थापित आपदा नियंत्रण कक्ष 24 घंटे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के निगरानी कर रहा है और उन्हें आवश्यक मदद उपलब्ध करा रहा है। सेना को भी सतर्क किया गया है और जहाँ भी आवश्यकता होगी तत्काल यह सहायता प्रभावितों की मदद के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 45 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए विशेष दल बनाये गए हैं और उनके अस्थायी कैंप प्रभावित क्षेत्रों में लगाए गए हैं। राज्य में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 150 राहत शिविरों में लोगों पहुँचाया गया है। बाढ़ प्रभावित जिलों को 100 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है ताकि प्रभावितों के रहने खाने तथा अन्य नुकसान की भरपाई की जा सके। आपदा और बचाव कार्य पर 325 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। राज्य सरकार ने भारी बारिश के कारण हुए नुकसान के लिए भारत सरकार से तत्काल प्रारम्भिक आंकलन के लिए अध्ययन दल भेजने को कहा है। राज्य सरकार के आग्रह पर केन्द्र से इंटर मिनिस्ट्रीयल सेंटर टीम शीघ्र आने का आश्वासन मिला है।
बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत और बचाव के कार्य युद्धस्तर पर शुरु
अतिवृष्टि से प्रभावित मंदसौर, रतलाम, आगर-मालवा, शाजापुर, भिंड, श्योपुर, नीमच, दमोह, रायसेन, और अशोकनगर जिले में प्रभावितों के लिए राहत और बचाव के कार्य युद्धस्तर पर शुरु किए गए है।
मंदसौर- मंदसौर में बाढ़ के कारण 12 हजार 800 लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें से 10 हजार लोगों को राहत कैम्प में ठहराया गया है। पूरे जिले में 53 राहत कैम्प स्थापित किए गए हैं। शिविरों में कपड़ों,सोने और भोजन की पूरी व्यवस्था की गई है स्वयंसेवी संस्थाएं और नागरिक जिला प्रशासन के साथ सहयोग कर रहे हैं। आवागमन ठप्प हो जाने से मार्ग में फंसे 470 लोगों को राहत शिविरों में ठहराया गया जहाँ उन्हें सोने और भोजन आदि की सुविधा उपलब्ध करवाई गई। प्रभावित क्षेत्रों के रहवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। गाँधीसागर बाँध के आसपास के गांवों को खाली करवा लिया गया है। मदद के लिए मोबाइल नं. 7587969401 पर कोई भी व्यक्ति फोन करके सहायता प्राप्त कर सकता है। होमगार्ड के सैनिक नाव और बोट से निरंतर निगरानी रख रहे हैं।
रतलाम- रतलाम जिले में अतिवृष्टि के हालातों से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ की मदद से लोगों को बचाने का काम मुस्तैदी से किया गया। बाजना विकासखंड के ग्राम भड़ानखुर्द के ग्रामीणों को सुरक्षित कैम्पों में पहुँचाया गया। इसी तरह ग्राम रोला के 250 ग्रामीणों को पड़ोस के ग्राम रिंगनोद में शिफ्ट किया गया। ग्राम रणायरागुर्जर के 300 नागरिकों को विभिन्न शासकीय भवनों में सुरक्षित पहुँचाया गया जहाँ उनके भोजन रहने आदि की व्यवस्था की गई थी। रणायरागुर्जर में बाढ़ में फंसे मांगीलाल तथा सावत्रीबाई को एनडीआरएफ की टीम ने निकाला और उन्हें राहत शिविर पहुँचाया। इसी तरह पिपलौदा में भी 4 व्यक्तियों को स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों की मदद से बचाया गया।
आगर-मालवा- भारी वर्षा के कारण आगर-मालवा की कंठाल नदी में जलस्तर बढ़ने से नगरीय क्षेत्र सोयत में लोगों के घरों में पानी भर गया। जिला प्रशासन ने तत्काल पुलिस-होमगार्ड और एनडीआरएफ की टीम के साथ बचाव कार्य शुरु किया और 750 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। उनके खाने-पीने सोने आदि की व्यवस्था राहत शिविरों में की गई। जो नागरिक अपने घरों में बाढ़ के कारण फंसे हुए है उन लोगों को खाने-पीने तथा अन्य जरूरी सामान बोट द्वारा पहुँचाया गया। बाढ़ के कारण दुकानों और घरों को जो नुकसान पहुँचा है उसके लिए चार सदस्यीय टीम गठित की गई है। उन्होंने सर्वे का कार्य प्रारंभ कर दिया है। जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए विशेष स्वास्थ्य दल गठित किए गए है जो शिविर लगाकर लोगों को उपचार उपलब्ध करावा रहे हैं।
शाजापुर -शाजापुर जिले में बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने के लिए शासकीय भवनों में राहत-शिविरों को खोला गया है। प्रभावित क्षेत्रों पर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं।
मुरैना संभाग - पार्वती और चंबल नदी में बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर बचाव कार्य शुरु कर दिया गया है। श्योपुर जिले में बाढ़ में फंसे 12 गांव के लोगों को राहत शिविरों में पहुँचाया गया है। एक व्यक्ति जो बाढ़ में फंस गया था उसे भी सुरक्षित निकाला गया है। जिले के नदियों के समीप बसे 15 गांव जो नदियों के किनारे बसे है उनसे सतत् संपर्क रखा जा रहा है साथ ही सेना भी बुला ली गई है। भिंड जिले में बाढ़ से निपटने के लिए आर्मी लॉ वन कॉलम दल को अटेर में तैनात किया गया है जो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा रहे है। भिंड जिले के ग्राम कोसड़ में स्थापित राहत शिविरों में लोगों को पहुँचाया गया है। मुरैना-भिंड और श्योपुर जिले में राहत और बचाव कार्य के लिए 50 एसएएफ, 10 एसडीआरएफ और होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं। पशुओं के इलाज के लिए भी चिकित्सकों को सेवा में लगाया गया है।
दमोह- दमोह जिले में आज सुबह से बचाव के लिए तैनात टीम लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने का काम कर रही है। राहत शिविरों में पूरे इंतजाम किए गए हैं।
रायसेन- रायसेन जिले में बाढ़ के कारण हुए नुकसान पर सर्वे शुरु कर दिया गया है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी जिले के प्रभावित गांव कायमपुर और निनोद गांव पहुँचे और उन्होंने बाढ़ प्रभावितों से मुलाकात कर अस्वस्त किया कि सरकार हर संभव मदद करेगी।
अशोकनगर- अशोक जिले में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में फसलों, मकानों तथा अन्य नुकसानों के प्रारंभिक आंकलन का कार्य शुरु कर दिया है। आंकलन के बाद सभी प्रभावितों को आरबीसी 6-4 तहत सहायता उपलब्ध करवायी जाएगी।
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