Editor: Vinod Arya | 94244 37885

कामना का सकारात्मक रूप धर्म और नकारात्मक रूप अधर्म,योग सात्विक बनाता है इसे अपनाए:पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद

 कामना का सकारात्मक रूप धर्म और नकारात्मक रूप अधर्म,योग सात्विक बनाता है इसे अपनाए:पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद 
सागर । पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती का कहना है कि  मानव जगत में कामना की प्रधानता है । यही हमारे उद्धार और पतन का कारण है । सकारात्कमक कामना धर्म और नकारातमक कामना अधर्म है ।कामनाओं का शरीर पर व्यापक असर पड़ता है । जो कई बीमारियों तक पहुचता है । हमे सात्विक कामनाओं के लिए योग विज्ञान को अपनाना चाहिए ।उन्होंने योग निकेतन योग प्रशिक्षण संस्थान सागर के स्वर्ण जयंती समारोह के दूसरे दिन  शाम को सत्संग समारोह में कही ।
       इस मौके पर पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ,महापौर अभय दरे,स्वामी विवेकानंद विवि के संस्थापक कुलपति डॉ अनिल तिवारी ,पूर्व विधायक सुनील जैन,सुखनदन जैन ने आशीर्वाद लिया। स्वामी जी ने स्मृति चिन्ह भेंट किया।
उन्होंने बताया कि बिहार यॉग विधालय में योग की विभिन्न अंगों पर केंद्रित शिक्षा दी जाती है ।यही पद्धति जीवन शैली को सुधरती है ।उन्होंने कहा कि पूजा पाठ ,मंदिरों में घण्टी बजाने सेधार्मिक नही बना जाता है । जब तकापजे मन मे बैचारिक और कार्यो में शुद्धता नही आएगी ।तब तक सब बेकार है ।तामसिक से सात्विक बनना ही योग है । सागर में शिविर के माध्यम से सम्पूर्ण योग से अवगत बनाने की कोशश की जा रही है 
          इस मौके पर योगाचार्य विष्णु आर्य ने कहा कि संयमित जीवन शैली ही हमारे समाज को बेहतर बनायगी। इसके लिए सम्पूर्ण योग को अपनाना होगा ।सत्संग कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रमो की प्रस्तुति हुई ।
        इस मौके पर डॉ एन  आर  भार्गव,मधु गुप्ता,दुर्गा प्रसाद कोष्टि, सुरेंद्र सुहाने,डॉ सुधीर त्रिवेदी, रामनारायण यादव,आरती ताम्रकार,विजय ताम्रकार,सुशील तिवारी,डॉ अवस्थी,बद्री प्रसाद सोनी ,मनोहर सोनी ,अमित गुप्ता,कपिल मलैया,अनिल नेनधरा सहित अनेक लोग उपस्थित थे ।
कल 24 सितम्बर के कार्यक्रम
कल 24 सितम्बर को सुबह 6 बजे आदर्श गार्डन,11:30 बजे सागर विवि और 2 बजे एसवीएन विवि सागर में और शाम चार बजे आदर्श गार्डन में सत्संग कार्यक्रम होगा।
 कमिश्नर आनंद शर्मा ने की चर्चा
सागर।पद्मभूषण स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती से योग निकेतन में सागर संभाग के कमिश्नर आनंद शर्मा ने आशीर्वाद लिया। इस मौके पर योग पर केंद्रित चर्चा की।उन्होंने योग के क्षेत्र में चल रहे कार्यो से अवगत कराया।
 
गर्ल्स डिग्री कालेज में की युवा और योग विषय पर चर्चा
''युवा और योग'' विषय पर रासेयो तथा व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजितकार्यक्रम मके  स्वामी निरंजनानंद जी सरस्वती ने अपने उद्बोधन में गुरू शिष्य परम्परा पर प्रकाश डालते हुए बताया किया किस प्रकार उनके गुरू ने सेवा परम्परा प्रारम्भ कर 1950 के दशक से योग का प्रचार-प्रसार प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि आज लोग जो मीडिया के माध्यम से योग के विषय में जानते है, उन्हें केवल आसनों की जानकारी है। 
       वास्तव में योग व्यापक क्रिया है जिसमें ध्यान, व्यायाम आसन सभी का समीश्रण है। उन्होंने छात्राओं को नियमित सूर्य नमस्कार एवं प्राणायाम करने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि नियमित योग से सकारात्मक ऊर्जा, प्रेरणाशक्ति का विकास तथा शारीरिक क्षमता का उत्तोस्तर विकास होता है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक, रचनात्मक अभिव्यक्ति संस्कृति है जो जीवन के व्यवहार संतुलित करती है।
स्वामी जी का दिया परिचय 
योग गुरू विष्णु आर्य ने स्वामी जी का जीवन परिचय देते हुए योग का महत्व बताया। स्वामी गोरखनाथ जी ने छात्राओं को भ्रमरि प्राणायाम करते हुए उसके महत्व को बताया।
          कालेज के प्राचार्य ए के पटेरिया के मार्गदर्शन में कार्यक्रम हुआ।आयोजन प्रभारी डाॅ. भावना यादव ने संचालन करते हुए कहा कि अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य को महत्व देते हुए हमारे ऋषि मुनियों ने जीवनचर्या से जुड़े ऐसे नियम, संयम निर्धारित किए जो स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष लाभकारी थे। साथ ही अच्छे स्वास्थ्य का, न ही व्यक्तित्व जीवन में महत्व होता है बल्कि मजबूत राष्ट्र के लिए स्वस्थ नागरिकों की आवश्यकता होती है। स्वस्थ युवा ही सकारात्मक ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण अपनी प्रभावशाली भूमिका का निर्वाह करते हैं।
              वरिष्ठ प्राध्यापक, व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ प्रभारी डाॅ. इला तिवारी ने कहा कि स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मन रहता है, जिसमें उच्च सकारात्मक विचार आते हैं। इस हेतु योग माध्यम है जिसे युवा छात्राओं को अपनाना चाहिए। खेल अधिकारी डाॅ. मोनिका हर्डिकर ने आभार देते हुए महाविद्यालय में संचालित योग कक्षाओं की जानकारी दी।
         छात्राओं ने स्वामी जी से प्रश्न किए यथा जल्दी-जल्दी नींद आना, भूल जाना, ध्यान न लगना, योग हेतु उच्च समय, सामान्य रूप से किन योगासनों का नियमित करना चाहिए आदि प्रश्न किए।
        इस अवसर पर डाॅ. संजय खरे, डाॅ. प्रतिमा खरे, श्रीमति मंगला सूद, डाॅ. अंशु सोनी, स्वामी योग रक्षित, स्वामी भक्तिमूर्ति, स्वामी सत्यमूर्ति, स्वामी ध्यानेरवर, श्री रामनारायण यादव, अध्यक्ष योग निकेतन संस्थान, श्रीमति सुनीता श्रीवास्तव, श्री अक्षय दुबे तथा बड़ी संख्या में छात्राएँ उपस्थित थी
Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Archive