लंका जीकर आये रहली के लालों का हुआ सम्मान,हैंडबॉल में किया नाम रोशन
सागर। कहते है पंखों में नही होसलो से उड़ान होती है होसलो की उड़ान का यह छात्र उदाहरण है जिसमे संसाधनों के आभाव को दरकिनार कर साबित कर दिया कि संकल्प से हर सफलता संभव है।।पुरानी कहावत है कि दुष्कर कार्य होने पर कहा जाता है कि कौन लंका जीत सकते है। रहली के एक ही क्लास कक्षा 12 के छात्रों ने अपने दृढ़ संकल्प से जिला राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन किया।रहली के दो छात्रों ने श्रीलंका में आयोजित अंर्तराष्ट्रीय स्टूडेंट ओलेपिक टूर्नामेंट में हेंडबाल प्रतियोगिता में हर्षित पिता श्रीकांत सोनी,सिद्धार्थ पिता महेंद्र खरे नेे भारत का प्रतिनिधित्व किया था। दोनों छात्रों ने शानदार प्रदर्शन करते हुये जीत हासिल की ओर परिवार नगर देश का गौरव बढाया।श्रीलंका सरकार द्वारा दोनों छात्रों को गोल्ड मेडल एवं प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। सिद्धार्थ खरे ने बताया कि 20 जून को पंजाब में स्टेत स्तर पर पतियोगिता हुई थी। जिसमें तीसरा स्थान लगा था। उसके बाद मेल पर अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर खेलने जाने का संदेश आया तो खुशी का ठिकाना नही रहा। सिद्धार्थ ने बताया कि श्रीलंका के कोलंबो में तीन टीमो के बीच मैच हुआ था ।जिसमें पहले श्रीलंका को हराया फिर बंग्लादेश को हराया।सिद्धार्थ ने खुशी जाहिर करते हुये नगर के सभी माता पिता से अपील की है कि बच्चों को उनके रुचि के हिसाब से पढने ओर जिस विधा में वह जाना चाहते है प्रोत्साहित करे।वही हर्षित ने बताया कि परिवार का सबसे अधिक सहयोग मिला जिस कारण अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर इस मुकाम को पाया है। हर्षित का कहना है कि मेहनत ओर लगन से सबकुछ पाया जा सकता है माता पिता ओर परिवार सहित विद्यालय में गुरुजनों का सहयोग के लिये सभी का आभार प्रकट किया।
वही हर्षित सोनी और सिद्धार्थ खरे के माता पिता ने भी अपने लालो के लंका जितने पर गर्व करते हुए सभी अभिभवकों से अपने बच्चो की रुचि अनुसार उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करने की अपील की है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर रहली का नामरोशन करने वाले ईंन होनहारों का रहली में ढोल ढमाकों के साथ स्वागत हुआ। लोगो ने इनपर फूल बरसाए।
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