हिन्दी दिवस पर लोक सम्मान पर्व । हिंदी का हाजमा दुरुस्त ,कई भाषाओंके शब्द अपनाए:आचार्य जी
सागर।कला,साहित्य,संस्कृति एवं भाषा के लिए समर्पित ,श्यामलम् संस्था ने हिन्दी दिवस पर श्यामलम् लोक सम्मान पर्व 2019 एवं व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।इसके अथिति और भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन दिल्ली में ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ. मनोहर अगनानी. तथा कमिश्नर आनंद कुमार शर्मा थे।अध्यक्षता स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ.अजय तिवारी ने की।
ये हुए सम्मानित:
1कर्मशील जीवनसम्मान-श्री शिवशंकर केसरी
2संस्कृत सम्मान-पं.वासुदेवाचार्य द्विवेदी
3संस्कृति सम्मान-श्री जयंत विश्वकर्मा
4 चिकित्सा सम्मान-डॉ. अनिल खरे
5 निष्ठावान कर्मचारी सम्मान
- श्री धर्मेंद्र चौबे ,आरक्षक
6 आदर्श शिक्षक (शालेय ) सम्मान -श्रीआर.पी.अग्निहोत्री
7 रंगकर्मी सम्मान - श्रीआमजद खान
8 ललित कला सम्मान - श्रीमती स्वाति हलवे
9 श्रेष्ठ युवा सम्मान :कु. रजनी दुबे
10 पत्रकारिता सम्मान- श्री गोविंद सरवैया
11 उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान (उच्च शिक्षा)-
डॉ. भावना यादव
12 स्वामी विवेकानंद सम्मान- श्री नीलरतन पात्रा
13 मानवता सम्मान-
श्रीमती प्रतिभा अरजरिया ,बाल संजीवनी आश्रम रजाखेड़ी।
14 बुन्देली लोक सम्मान -श्री हरिशंकर हरि
15 अकादमिक एवं प्रशासनिक सम्मान-
प्रो. जी. एल. पुणतांबेकर
कार्यक्रम में प्रो.सुरेश आचार्य ने कहा कि यह समय हिन्दी के अभ्युत्थान का है।हिन्दी का हाजमा बहुत दुरुस्त है।अंग्रेजी, अरबी,फारसी, उर्दू, संस्कृत के कई शब्द हिन्दी ने अपना लिए हैं।मुझे आश्चर्य नहीं कि निकट भविष्य में अंग्रेजी भी देवनागरी में लिखी जाने लगे। कार्यक्रम में . मनोहर अगनानी के लेख-संग्रह "एकांत की आहट" का विमोचन किया गया साथ ही.डा. अगनानी को "श्यामलम् हिन्दी सेवी सम्मान 2019" से विभूषित किया गया।
कथाकार डा.सुश्री शरद सिंह ने विमोचित पुस्तक पर समीक्षा में कहा कि डॉ. मनोहर अगनानी की पुस्तक 'एकांत की आहट' में संग्रहीत लेख संस्मरण एवं अनुभव के रूप में हैं जिनकी यह विशेषता है कि इन लेखों में राग-विराग, कटाक्ष, प्रसन्नता एवं दायित्वबोध आदि सब कुछ बड़े ही सहज ढंग से और सरल शब्दों में समाया हुआ है।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि वक्ता डा.मनोहर अगनानी ने हिन्दी दिवस व्याख्यानमाला के विषय"हिन्दी के विकास में अन्य भाषाओं की भूमिका" विषय पर प्रभावी व्याख्यान देते हुए कहा कि हिंदी शब्द की उत्पत्ति सिंधी शब्द से हुई है। हिन्दी के नवजागरण काल में भारतीय संतों ने अपने अपने क्रियाकलापों से हिन्दी के सम्बर्धन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। हिन्दी फिल्मों ने भी पूरे विश्व मे हिन्दी का प्रचार प्रसार किया है ।यदि हिन्दी भाषा को राज भाषा से राष्ट्र भाषा की और ले जाना चाहते हैं तो हमें विज्ञान,तकनीक ,विधि और प्रशासन की भाषाई क्लिष्टता को दूर कर आत्मसात करना होगा। तभी हिंदी अपने उच्चतम विकास तक पहुँच सकेंगी।
मुख्य अतिथि कमिश्नर सागर आनंद कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी भाषा को सशक्त एवं ताकतवान बनाने के लिए मेरी दृष्टि में तीन अति महत्त्वपूर्ण कार्य करना होंगे ।
प्रथम है -आपसी बोलचाल और व्यवहार की भाषा हिन्दी बनायें।
द्वितीय है - हम ज्यादा से ज्यादा हिन्दी में ही लिखें। हर भाषा को ,प्रत्येक विषय को हिन्दी में ही लिखें।
तृतीय है- साहित्य सृजन में सभी भाषाओं के अनुवाद और लेखन हिन्दी में ही करें।
अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी ने हिन्दी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाए जाने की बात कही।
अतिथियों द्वारा सरस्वती जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन् उपरांत लेखिका संघ की अध्यक्ष सुनीला सराफ ने सरस्वती वंदना की।बुंदेली गायक शिवरतन यादव ने ध्रुव शुक्ल द्वारा रचित प्रकृति वंदना का गायन किया।श्यामलम् के अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र व हरी शुक्ला, कपिल बैसाखिया ,कुंदन पाराशर ने पुस्तकें व श्रीफल भेंट तथा श्यामलम् बैज लगाकर अतिथियों का स्वागत किया
प्रथम सत्र का संचालन सहा.प्रा.डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी तथा द्वितीय सत्र का संचालन कवयित्री डॉ. चंचला दवे व रमाकान्त शास्त्री द्वारा किया गया।श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने आभार माना।
डॉ महेश तिवारी, हरी सिंह ठाकुर,डा. शशि कुमार सिंह,आशीष ज्योतिषी,डा.श्याम मनोहर सीरोठिया,प्रदीप पाण्डेय, डा.सतीश पाण्डेय, सुमित दुबे, असरार अहमद,ऋषभ जैन, डा. आशीष द्विवेदी, डा.अमर जैन,डा. ऋषभ भारद्वाज, देवीसिंह राजपूत,डा.कविता शुक्ला,डा.छाया चौकसे व राजेश पंडितने सम्मान पत्रों का वाचन किया
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजनों व नागरिकों, पत्रकारों की उपस्थिति रही जिनमें पंडित शम्भु दयाल पाण्डेय,डा.जीवनलाल जैन,पूर्व विधायक सुनील जैन,सुरेश सेठ,सुदेश तिवारी, के.के.सिलाकारी,संदीप तिवारी, जे.पी.पाण्डेय, गोवर्धन पटैरिया,मुन्ना शुक्ल,डॉ. छबील मेहेर,डॉ.नॉनिहाल गौतम,प्रो.उदय जैन, निर्मलचंद निर्मल,डॉ सुखदेव वाजपेयी, राजेन्द्र दुबे,डॉ रामरतन पाण्डेय,सिद्धार्थ शुक्ला, मणिकांत चौबे,डॉ.एन.पी.शर्मा,प्रभात कटारे, अम्बिका यादव ,के के तिवारी,गौरव राजपूत, डा.विनोद तिवारी,अभिषेक ऋषि, गोपीरंजन साक्षी,जी.एल.छत्रसाल,डा. प्रदीप चौहान, डा. ज्योति चौहान,हेमचंद जैन,के.एल.तिवारी, पूरन
सिंह राजपूत आदि शामिल हैं।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें