वनाधिकार के अमान्य पट्टो का फिर से परीक्षण होगा,वनमित्र पोर्टल के जरिये:कलेक्टर

वनाधिकार के अमान्य पट्टो का फिर से परीक्षण होगा,वनमित्र पोर्टल के जरिये:कलेक्टर

सागर। सागर जिले में  अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम के तहत वन में निवास करने वाले अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों को वनाधिकार पट्टे दिए जाने के संबंध में कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुई।
बैठक में कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को यह निर्देष दिए कि वन अधिकार के मामलों में वर्षोंं से काबिज आदिवासियांे और अन्य परंपरागत वन निवासियों के आवेदनों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए और उन्हंे व्यक्तिगत एवं सामूदायिक अधिकार के पट्टे दिए जाए। कलेक्टर ने कहा कि राज्य सरकार की मंषानुसार सभी पात्र व्यक्तियों को वनाधिकार के पट्टे मिल जाएं। कलेक्टर ने कहा कि वनाधिकार के जो आवेदन पत्र किन्ही त्रुटि या अन्य किसी कारणवष अमान्य कर दिए गए है उनका पुनः परीक्षण किया जाए। ग्राम स्तर पर, खंड स्तर पर और जिलास्तर पर गठित की गई समितियों के माध्यम से दावों का निराकरण किया जाएगा।
बैठक में वन मंडलाधिकारी, जिला पंचायत सीईओ, सभी एसडीएम, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, अनुविभागीय अधिकारी वन एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
निरस्त दावों की पुनः सुनवाई एवं निराकरण हेतु प्रत्येक स्तर के प्राधिकारियों की सहायता हेतु आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा वेब पोर्टल एम.पी.वनमित्र विकसित किया गया है। वनमित्र के माध्यम से दावेदार अपने दावे साक्ष्य सहित ऑनलाईन फीड करेगा तथा फीड किए गए दावे का ऑनलाईन निराकरण ग्राम वनाधिकार समिति, उपखंड समिति एवं जिला वनाधिकार समिति द्वारा किया जाएगा। इस प्रक्रिया से दावों के निराकरण में पारदर्षिता होगी। दावों की स्थिति को लाईव देखा जा सकेगा, दावा मान्य होने की स्थिति में ऑनलाईन वन अधिकार पत्र जारी हो सकेगा, एवं दावा अमान्य होने की स्थिति में दावा किन कारणों से अमान्य किया गया है। कारणवार जानकारी दावेदार को ऑनलाईन प्राप्त हो सकेगा। जिले में यह कार्य 2 अक्टूबर से किया जाएगा। वनाधिकारों से जुड़े सभी अधिकारी/कर्मचारियो को विस्तृत प्रषिक्षण दिया जाएगा।
बैठक मंे कलेक्टर ने कहा कि वे स्वयं निरस्त दावों के एक-एक प्रकरण की स्वयं समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी दावाकर्ता का आवेदन पत्र तकनीकी आधारों या कमियों के आधार पर निरस्त न हो। 

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