हरितालिका तीज व्रत ऐसे मनाए
देशभर के विद्वत धर्मशास्त्रियों ने शास्त्र को प्रमाण बनाकर तृतीया तिथि के क्षय के कारण उपस्थित वाद का मोचन किया है... धर्मसिन्धु एवम निर्णय सिंधु के अनुसार चतुर्थी एवं हस्त नक्षत्र से युक्त तृतीया ही सौभाग्यदायिनी है... द्वितीया के साथ तृतीया व्रती को अभीष्ट प्रदान नही करेगी एवं शास्त्र सम्मत भी नही है... पारण का विधान भी चित्रा नक्षत्र में है...
चतुर्थी हस्त नक्षत्र सहिताया तु सा तृतीया फलप्रदा
सोमवार को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग तथा सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व की महत्ता को बढ़ाती है । हस्त नक्षत्र में तीज का पारण वर्जित है, जबकि रविवार 01 सितंबर को व्रती महिलाओं को 02 सितंबर दिन सोमवार के भोर में पारण हस्त नक्षत्र में ही करना पड़ेगा, 03 सितंबर दिन मंगलवार के भोर में चित्रा नक्षत्र का पारण सौभाग्य-वृद्धि में सहायक माना गया है। अतः *सर्वसिद्ध हरितालिका तीज व्रत चतुर्थी युक्त तृतीया एवं हस्त नक्षत्र के कारण 02 सितंबर, सोमवार को ही मान्य है ।
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