कौन सी देवियों का समूह कैसे हम लोगों के शरीर की रक्षा करता है

कौन सी देवियों का समूह कैसे हम लोगों के शरीर की रक्षा करता है

(पं.शशिशेखर त्रिपाठी)
एबीपी गंगा
नई दिल्ली।  नवरात्रि का पर्व रविवार से प्रारंभ हो रहा है। ये समय शक्ति भरने का है। पंडित शशिशेखर त्रिपाठी आपको दुर्गासप्तशती ग्रंथ से कवच यानी आप लोगों की सुरक्षा से जुड़े विषय के बारे में विस्तार से इस रिपोर्ट में बता रहे हैं। दुर्गा सप्तशती में इसमें भगवती की कृपा तो है ही, साथ ही गूढ़ रहस्य भी हैं। ये ग्रंथ कर्म, भक्ति और ज्ञान की त्रिविध मन्दाकिनी है। भगवती की उपासना से भक्तों को मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होती है और निष्काम भक्त को परम दुर्लभ मोक्ष को पाकर कृतार्थ होते हैं।


भगवती का कौन-कौन सा स्वरूप हमारे शरीर में कहां-कहां रक्षा करता है?

मार्कण्डेय ऋषि ने ब्रह्मा जी से पूछा कि पितामह मुझे ऐसा कोई साधन बताइए, जिससे संसार के मनुष्यों की रक्षा हो। तब ब्रह्माजी ने कहा कि देवी का कवच संपूर्ण प्राणियों का उपकार करने वाला है।

देवी की नौ मूर्तियां हैं, जिन्हें 'नवदुर्गा' कहते हैं। उनके अलग-अलग नाम बतलाये जाते हैं।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्  ...पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च । सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।⁠ नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।

 यानि…

1. शैलपुत्री 2. ब्रह्मचारिणी 3. चंद्रघंटा 4.कूष्माण्डा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7.कालरात्रि  8.महागौरी एवं 9.सिद्धिदात्री हैं।


अब जानते हैं कि कौन सी देवियों का समूह कैसे हम लोगों के शरीर की रक्षा करता है?

शत्रुओं पर विजय मां जगदम्बिके करती हैं। जिनको भी शत्रुओं से समस्या हो जगदम्बिके देवी से प्रार्थना करें। मां भगवती हर तरफ से हम लोगों को प्रोटेक्ट करती हैं।


पूर्व दिशा में ऐन्द्री (इन्द्रशक्ति) देवी रक्षा करती हैं


अग्निकोण में अग्निशक्ति देवी


दक्षिण दिशा में वाराही


नैर्ऋत्यकोण में खड्गधारिणी


पश्चिम दिशा में वारुणी


वायव्यकोण में मृगवाहिनी देवी


⁠उत्तर दिशा में कौमारी


ईशान-कोण में शूलधारिणी देवी


ब्रह्माणि देवी ऊपर से रक्षा करती हैं


वैष्णवी देवी नीचे की ओर से रक्षा करती हैं


शव पर चलने वाली देवी चामुण्डादेवी दसों दिशाओं में रक्षा करती हैं


जया आगे से और विजया पीछे की ओर से रक्षा करती हैं⁠


वामभाग में अजिता और दक्षिणभाग में अपराजिता देवी रक्षा करती हैं



कवच की महिमा अंगो….पर..


उद्योतिनी शिखा


उमा मस्तक


यशस्विनी देवी भौंहों का संरक्षण करें


भौंहों के मध्यभाग में त्रिनेत्रा


कानों में द्वारवासिनी रक्षा करे।


कालिका देवी गाल की


भगवती शांकरी कानों की रक्षा करें ⁠


जिह्वा में सरस्वती देवी रक्षा करें


दांतों की रक्षा कौमारी


गले की रक्षा चण्डिका⁠।


महामाया तालु की रक्षा करें


दोनों भुजाओं की वज्रधारिणी रक्षा करें


शोकविनाशिनी देवी मनकी रक्षा करे।


ललितादेवी हृदय में


शूलधारिणी पेट की रक्षा करें


विन्ध्यवासिनी घुटनों की रक्षा करें


त्वचाकी वागीश्वरीदेवी रक्षा करें


पार्वती देवी रक्त, मज्जा, वसा, मांस, हड्डी की रक्षा करे


धर्मधारिणी-देवी बुद्धि की रक्षा करें

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