पानी पानी रामपुरा और वो डगमग बोट की सवारी,,,,,
( सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट )
इस बार हमारे मध्यप्रदेश में गजब पानी गिर रहा है। ये कालम लिख रहा हूं और बाहर पानी बरस रहा है। हो सकता है आप जब ये पढ रहे हो तब भी बाहर पानी गिर रहा हो। सावन गीला होकर निकल गया भादो में भी ऐसी बरसात अर्से से नहीं देखी थी। ऐसा लगता है कि अबकी बारिश विराट कोहली हुयी जा रही है जो अपने अगले पिछले सारे फार्मेटों के रिकार्ड पानी में बहाने को उतारू है। और ऐसी बारिश में सबसे मुश्किल होता है हमारे टीवी का कवरेज। पानी गिरते में भागो, पानी गिरते में आप भीगो मगर कैमरा बचाते हुये विजुअल शूट करो और फिर उस गीले मौसम पर सूखी सी कहानी लिखकर भेजो। इस बार लगातार पानी किसी जगह पर कम ही गिरा है, ऐसे में यदि कहीं पानी की चेतावनी है और हम वहंा जायें तो जरूरी नहीं कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी सच साबित हो।
बारिश की मेहरबानी इस बार मंदसौर और उससे जुडे जिले नीमच पर ज्यादा रही। जैसे हमारे भोपाल में बारिश का पैमाना भदभदा का गेट खुलना है वैसे ही मंदसौर में ज्यादा बारिश तब मानी जाती है जब शहर के बीच बहने वाली शिवना नदी अपने किनारे से करीब तीस फीट की उंचाई पर बने पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश कर शिवजी की सात फीट उंची आठ मुंह वाली मूर्ति को डुबो कर जलाभिषेक करे। जैसे इस बार भदभदा के गेट कितनी बार खुले कोई याद नहीं रख रहा वही हाल मंदसौर में शिवना के पशुपितनाथ के जलाभिषेक का रहा। छह बार से ज्यादा शिवना का पानी मंदिर में आया। मंदसौर पुराण इसलिये भी कि इस बरसते मौसम में दूसरी बार मंदसौर जाना हुआ जब हमारे सहयोगी मनीष पुरोहित ने कुछ विजुअल्स भेजे जिनमें शहर के कई इलाकों में जबरदस्त पानी भरा दिख रहा था। देखकर लगा कि हालात ओर बिगड सकती है तो इस बार सडक मार्ग से ही मंदसौर निकल पडे क्योंकि पिछली बार सरकारी हैलीकाप्टर से राजस्व मंत्री के साथ गया था तो आना जाना पता नहीं चला मगर आठ घंटे बाद जब मंदसौर पहुंचे तो फिर वही कहानी दोहरायी गयी शहर के पानी भरे इलाकों से पानी उतर चुका था रह गयी थी कीचड गाद और जनता की पानी के बाद की गटठर भर परेशानिया। जो टीवी के लिये बहुत बेहतर कहानी नहीं मानी जाती। टीवी को तो दूर दूर तक भरा हुआ अथाह पानी और उसमें कुछ एक्शन होते हुये होना चाहिये। जिससे विजुअल देख हैरानी होे और यदि वहां बचाव का काम हो रहा हो तो उत्सुकता झलके कि डूबने वाले बच पायेंगे या नहीं। मंदसौर में ऐसा कुछ नहीं था तो ऐसे में याद आये हमारे नीमच के राजेंद्र सिंह राठौर। उन्होंने पहले सूचना की थी कि नीमच जिले के रामपुरा कस्बे में गांधीसागर बांध का बेक वाटर दीवार तोड कर आ गया है और तकरीबन आधे शहर को डुबो दिया है। कई सारे लोगों को पानी में डूबे घरों से निकाल कर राहत शिविरों में पहुंचाया है। बस फिर क्या था मंदसौर छोड निकल पडे नीमच के रामपुरा। बीस हजार की आबादी वाला रामपुरा कस्बा पिछले शनिवार की रात जब सो रहा था तब गांधी सागर बांध के सरोवर का पानी गुस्से में ऐसा उफनाया कि शहर और बांध के बीच बनी दीवार या रिंग वाल को तोडकर गलियों और बाजारों में ऐसे घुसा कि लोगों को लेने के देने पड गये। रातोंरात लोगों को अपने घर छोडकर उंचाई में बसे अपने करीबियों के घर या धर्मशालाओं में जाना पडा। हम जब पुलिस की जीप के पीछे राजपुरा मोहल्ला की संकरी गलियोें में गाडी चला कर जब लाल बाग बाजार पहुंचे तो वहां का नजारा देखकर हैरान रह गये। सामने बाजार की गलियां थीं और उनमें पानी घुटनों से लेकर गले गले तक पानी भरा हुआ था। जिन दुकानों से पानी उतर रहा था वहंा दुकान खोलने के बाद की बर्बादी दिख रही थी। पूरा सामान पानी से तरबतर था चाहे वो मेडिकल की दुकान हो या फिर किराने की शाप। पानी ने बर्बाद करने में कुछ नहीं छोडा था। अब पानी में जायंे कैसे तो वहीं मिले युवा पत्रकार कमलेश मालवीय ने सामने से आ रही एक छोटी सी नाव में मुझे और हमारे कैमरामेन अभिषेक शर्मा को जल्दी जल्दी चढा दिया। ये नाव कोई बचाव दल वाली नाव तो थी नहीं जो पूरे वक्त संतुलन में रहती। ये तो मछुआरों की नाव थी जिसके दोनों सिरों पर दो नाविक बैठे थे ओर बीच में मैं, अभिषेक, राठौर जी और कमलेश। धीरे धीरे डग मग होते हुये ये नाव लाल बाग बाजार की गलियों में मंथर गति से चल रही थी और हमें दिख रहे थे गलियांे के दोनों तरफ के सूने मकान जिनमें पहली मंजिल तक पानी भरा था। बैठे बैठे अभिषेक का कैमरा चल रहा था और मेरी कामेंटी जिसमे मैंने कहा कि यहां सामने खडे लोग कमर कमर तक डूबे हैं तो ये बात सुनकर उनमें से एक पानी में उतरा तो उसके गले से उपर पानी आ गया दरअसल वो मकान के किनारे बने चबूतरे पर खडे थे। एक दो रहवासी तो हमारी नाव के किनारे किनारे तैर भी रहे थे। मकान और दुकानों में पानी भरा था कुछ कच्चे मकान ढह गये थे। टीवी का गजब विजुअल था ऐसे में जब एक बार नाव जोरों से डगमागायी तो लगा कि आज यहंा पर खटलापुर का सीन बना। समझ में आ गया कि गलती तो कर बैठे थे बिना किसी सावधानी ओर लाइफ जैकेट के छोटी नाव में दनन से सवार हो गये थे जल्दी खबर देने के चक्कर में मगर किसी तरह राम राम कर नाव का ये चक्कर पूरा हुआ और जब वापस नाव से किनारे उतरे तब जान में जान आयी। उधर नाव से ही भेजे गये ये सारे विजुअल्स जब चैनल पर थोडी देर बाद ही चले तो जान को खतरे में डालने का डर कुछ कम हुआ। वैसे कमलेश ने बताया है कि एक हफते बाद भी रामपुरा में पानी पूरा उतरा नहीं है जनरेटर से पंप चलाकर पानी बांध में डाला जा रहा है।
(ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज, भोपाल )
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