जनजातीय पारम्परिक ज्ञान एवं विज्ञान पर संगोष्ठी 3 अक्टूबर को, नाड़ी वैद्य शिविर लगेगा
सागर। डॉ हरीसिंह गौर केन्द्रीय विवि के स्वदेशी अनुसंधान केंद्र,मानव विभाग और दत्तोपंत ठेंगडी शोध संस्थान भोपाल द्वारा मध्यवर्ती भारत की जनजातीय सामाजिक सांस्कृतिक ज्ञान के परिप्रेक्ष्य में 3 अक्टूबर को एक डीसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है ।इसी के साथ तीन दिनी नाड़ी वैध शिविर/प्रदर्शनी भी आयोजित किया की गई है ।
कुलपति प्रो आर पी तिवारी ने आज मीडिया को बताया कि जनजातीय और सदेशी ज्ञान धीरे धीरेकम होता जा रहा है । जबकि हर क्षेत्र में इस ज्ञान की जरूरत है ।बढ़ते शहरीकरण से यह ज्ञान लुप्त हो रहा है । इस ज्ञान को सरंक्षित करने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है । विवि में यह तीसरा आयोजन हैं।कुलपति के अनुसार स्वदेशी ज्ञान के संरक्षण हेतु विश्वविद्यालय में स्वदेशी अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई है ।जिससे इस अद्भुत ज्ञान के संरक्षण एवं प्रामाणिकता को परखा जा सके। भारतीय पद्धति परदेश-विदेश में विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है। केन्द्र के अन्तर्गत एक प्रोफेसर, एकऐसोशिएट प्रोफेसर एवं दो असिस्टेंट प्रोफेसर के पद की पूर्ति की प्रक्रिया चल रही है। विज्ञान विभाग द्वारा जनवरी 4 से 6 के बीच 2019 में जनजातीय पारम्परिक ज्ञान एवं विज्ञान परआयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में 6 राज्यों के वैद्य अपनी स्वदेशी उपचार पद्धति का प्रदर्शन शिविर के तहत कर चुके हैं जिससेजनमानस भी लाभान्वित हो चुका है।छत्तीसगढ़ शासन से पंजीकृतपरम्परागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संस्थान के नाड़ी वैद्य आ रहें है।
ये होंगे कार्यक्रम के वक्ता
विवि के स्वदेशी अनुसंधानकेंद्र के प्रभारी और मानव विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो के के एन शर्मा ने बताया कि स्वदेशी अनुसंधान केन्द्र एवं मानव विज्ञान विभाग और दत्तोपन्त ठेगड़ी शोध संस्थान, भोपाल द्वारा यहाँ पर 3 अक्टूबर 2019 को एक दिवसीय मध्यवर्ती भारत का जनजातीय सामाजिक-सांस्कृतिकपरिप्रेक्ष्य पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसका मूल उददेश्य मध्यवर्ती भारत की जनजातीय सामाजिक-सांस्कृतिक
परिप्रेक्ष्य पर वर्तमान स्थिति पर गहन चिन्तन मनन कर निष्कर्ष निकालना है।इसमे जबलपुर विश्वविद्यालय के जनजातीय अध्ययन केन्द्र के प्रो. शिव कुमार तिवारी द्वारा मध्यवर्ती
भारत का सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास : दक्षिण कौशल चेदी के संदर्भ में, पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास द्वारा मध्यवर्ती
भारत का सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास : पुरातात्विक उत्खननों के संदर्भ में, डॉ. कुमार रत्नम, सदस्य सचिव, भारतीय इतिहास
अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा मध्यवर्ती भारत का नृजातीय प्रवाह एवं डॉ. अंकुर यादव, नई दिल्ली द्वारा मध्य भारत की
जनजातियों का मानवशास्त्रीय शारीरिक वृत्तान्त प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है। इन प्रमुख वक्ताओं के साथ-साथ मध्य प्रान्त के
अन्तर्गत महाकौशल, मध्यभारत, छत्तीसगढ़, मालवा अंचल के इन क्षेत्रों में लम्बे समय से कार्य करने वाले लगभग 80 विद्वत गण
विचार-मंथन के लिए शामिल हो रहे हैं।कार्यशाला की अध्यक्षता कुलपति प्रो. राघवेन्द्र पी. तिवारी करेंगे।
प्रो शर्मा ने बताया कि इस कार्यशाला के साथ-साथ नाड़ी वैद्य स्वदेशी उपचार प्रदर्शनी मानव विज्ञान विभाग में 4 से 5अक्टूबर 2019 प्रातः 9.30 बजे से सांयकाल 6.00 बजे तक जनमानस के लिए इनका शिविर लगाया जा रहा है। इस प्रदर्शनी काउद्घाटन कुलपति एवं अन्य विद्वतगणों द्वारा 03 अक्टूबर 2019 को सांयकाल 5.30 बजे मानव विज्ञान विभाग में होगा।
प्लास्टिक कचरे से मुक्त कराने पहल जारी
कुलपति प्रो तिवारी ने बताया कि विवि में प्लास्टिक कचरा से मुक्त कराने की दिशा में विभिन्न स्तर पर प्रयास जारी है ।विश्वविधालयीन प्रक्रिया में भी पालीथिन /प्लास्टिकका उपयोग खत्म किया जा रहा है ।
दैनिक उपयोग के लिए कपड़ो के बने थैले भी उपलब्ध कराए जा रहे है ।
इस मौके पर विवि की डोफा प्रमुख प्रो अर्चना पांडेय ने बताया कि विवि क्षेत्र और अन्य स्थानों पर थैलों का वितरण कर लोगो को जागरूक किया जा रहा है।
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